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शिक्षित समाज

शिक्षा के बिना समाज अधूरा है और समाज के बिना शिक्षा

शिक्षा किसी भी समाज की आत्मा होती है। यह न केवल व्यक्ति को ज्ञान देती है बल्कि उसे समाज में जीने, सोचने और निर्माण करने की क्षमता भी प्रदान करती है। शिक्षा के बिना समाज अधूरा है और समाज के बिना शिक्षा अधूरी है। दोनों का एक-दूसरे से गहरा संबंध है।

समाज में शिक्षा का महत्व

शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसका उपयोग हम दुनिया को बदलने के लिए कर सकते हैं। यह मानव विकास और प्रगति की सीढ़ी है जो समाज को बेहतर दिशा देती है।

जहां शिक्षा व्यवस्था अच्छी होती है वहां की सामाजिक स्थिति में सुधार आता है। समाज की आर्थिक दशा और संस्कृति का सीधा संबंध शिक्षा से है।

शिक्षा व्यक्ति को जीवन जीने की कला सिखाती है। बिना शिक्षा के व्यक्ति केवल अस्तित्व रखता है, लेकिन शिक्षा उसे समाज और राष्ट्र निर्माण में सक्रिय योगदान देने योग्य बनाती है।

शिक्षा क्यों जरूरी है?

शिक्षा व्यक्ति में निर्णय लेने की क्षमता, तार्किक सोच, समस्या समाधान और मानसिक चपलता जैसे गुण विकसित करती है। यह उसे जीवन की चुनौतियों का सामना करने में समर्थ बनाती है।

शिक्षित व्यक्ति समाज में हर जगह सम्मान प्राप्त करता है और अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए प्रेरणा स्रोत बनता है।

बदलते दौर में बालिकाओं और महिलाओं की शिक्षा पर विशेष बल दिया जा रहा है क्योंकि नारी समाज की नींव है। उसमें नेतृत्व और परिवर्तन की शक्ति निहित है जो समाज को नई दिशा दे सकती है।

भारत में साक्षरता की स्थिति

भारत की राष्ट्रीय सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार 2011 तक भारत की साक्षरता दर 73% थी, जो 10 वर्षों में 5% बढ़कर 2022 तक 77.1% हो गई है। इनमें पुरुषों की साक्षरता दर 84.7% और महिलाओं की 70% है।

आइए हम सभी मिलकर प्रतिज्ञा लें कि हम अपने समाज, प्रदेश और देश को 100% साक्षर बनाने में योगदान देंगे। शिक्षित समाज ही सशक्त राष्ट्र का निर्माण करता है।